शनिवार, 7 नवंबर 2009

my india


सब जानते हे बैईमानी से ही काम होता हे
सरकार भी जानती हे ये अमीर भी ओर गरीब भी जानते हे ।
कुछ लोग बदल गये हे कुछ बदलना नही चाहेते जो बदलना नही चाहेते उनहै य्कीन हे सरकार पे नही भगवान पे डर रहेता हे । ओर वो लोग जांते हे के हमे मरना हे । भगवान को क्या जवाब देंगे ।
ओर एक वो हे जो पेसो के लिये जिता ही रहेता हे बडे बडे आलीसान महेल बनाता हे एसे जो सदीयो तक ना गीरे चाहे आप कुछ साल मे परलोक मे बेठा होगा । सारी उमर बीत जाती हे तब वो अराम कर्ता हे जो जमा किआ होता हे उस से पर कुछ समय के लिय इसे दर्द नही होता दो रोटी से जिआदा हमे क्या चाहीये कीतना अछा होता अगर इस देस मे प्यार प्रेम होता कीसी के दर्द का हमे भी इल्म होता तो कभी कोई गरीब ना मरता ना कोइ बहीन की इज्जत लुटती ना कोइ भुख के कारन आतमहतया करता । आज जो होरहा हे वो भारत देस मे जो बेहरा ओर अंधा होगया हे सब कुछ हो रहा हे इस के साम्ने पर ये गुंगा बन गया हे । जब हम गुलाम थे तब कोइ ओर दुसमन था अब ओर अब मेरे देस मे सब को पता हे पर कायर हे अत्मा मर गई हे कोई तो आवाज उठाओ कोई तो उन लोगो का खयाल करो जो आज भी भुखे शोते हे कोई तो खयाल करो आज भी गरीब की ईज्जत लुट रही हे आज भी एक मा भुख से लाचार अप्ने बच्चे का गला गोट रही हे
आज भी जो मरगये इस देस के लिय शोच के ये आने वाले समये मे हमारे देस मे कोइ भुख से नही मरेगा हमारी अपनी सरकार होगी मेरा भारत फ़िर से खुसहाल होगा अफ़सोस याह कारे स्स्ती मील जाती हे
रोटी नही काफ़ी के दाम मे ओफ़र मिल जाती हे चाये मे नही अरे जो आम आदमी अप्ने प्रिवार को दो व्कत की रोटी नही दे स्कता चाये कया खाक पीलायेगा गरीब को जो चाहीये वो कभी सरकार ने उसे दिआ ही नही रोटी कपडा मकान छोड के बाकी सब दिआ हे मे कायर नही ये सब कुछ जान के भी मे कुछ नही कर पारहा हुं । मे जानता
हुं हर आदमी ये बाते नही करता पर क्या हम अप्ने बच्चो के लिय नही जीते क्या हम अप्नी बहीनो को प्यार नही करते अगर करते हे तो
तो ये परीवार हे मेरा भारत भी हमारा परीवार हे मेरी लाखो बहीने बाई हे अगर उन पे आंच आई तो क्या मे देखता रहुंगा नही अप्ने घर से बाहर नीकलो ओर आस पास देखो डरो नही मे जानता हुं आज कल अछा काम करने वालो को भी रुला देते हे बुरे लोग अपनी इज्जत को बीक्ने ना दो वो इज्जत एक बेटी भी हे वो इज्ज्त बहीन की भी हे वो इज्ज्त मेरी भी हे क्या मे अप्नी इज्जत बेच के जीता हुं नही मे
असा कभी ना कर्ना हम इमानदार बनेगें ये तभी होगा जब हमारी सरकार राजा की त्रर्हे होगी भ्ले ही राजा भुखा रहे जाये उस की प्र्जा भुखी ना रहे तभी आम आदमी इमानदारी से हर कायेदे कानुन का पालन करेगा
अगर एसा नही होगा तो फ़िर से गुलाम होने मे जिआदा समय नही लगेगा आज हर कोइ ये जानता हे पर अप्ने आप को अकेला समज्जता हे इशी लिय वो आगे नही आता

my art


मे अपनी कला को दुनीया तक लाना चाहता हुं
जो सब से छोटी सुई जिसे तरपाई वालि सुइ कहेते हे या बटन लगाने के काम मे आति हे उस सुइ कि आंख मे जहा धागा पिरोया जाता हे उस मे मेने तीरंगा झंडा बनाया हे जिस मे तिनो रंग हे संतरि स्फ़ेद हरा ओर काला चिन जो अशोका चक्र दिरसाता हे इस सुई का साईज एक इंच चार पोईंट हे इस का फ़ोटो नही हो रहा भारत मे लोगो ने कहा भुल जा ईस काम को पर मेने शात साल ल्गा दिये इस कला को पाने मे ये मेरा भविस्ये हे मेने बहुत प्रीयास कीआ मगर किसी ने इस कला का स्नमान नही किआ मे जिला अधिकारी से मिल्ने दो बार गया पर वो मिले नही आखीर उंका असिस्टेंट मिला जिस्ने मुजे कहा कया हुआ अग्र सुइ मे तिरंगा झंडा बनालीया हमारे पास रोज पांच शो लोग आते हे इस सुई को केसे देखे मेने कहा माईकरो स्कोप कि मदत से उंहोने कहा तुजे मालुम हे माईकरो स्कोप किस्ने बनाई थि? मे नही सर मे ईतना पडा नही ?
जिस्ने माईकरो स्कोप बनाई थी उसे फ़ासी दे दी थी,।
'अब आप से मुजे मदत चाहिए मुजे इस क्ला को सायद भुल्ना होगा,
भारत मे इस का मुल नही हे कोइ जानता ही नही इस लिए मे आप को जेसा फ़टो ले पाया वेसा भेज रहा हुं,, ओर उस आदमी कि कुछ जानकारी जिस से मुजे प्रेना मिली ,ये जान कारि मेने गुगल से लि हे जिसे ईकठा कर्ने मे मुजे चार शाल हो चुके हे, ये जानकारी इस लिए कि के कोई इस कला की कद्र करे जो आज नही कर पाया ओर जो लनदन मे अरबो का मालिक बन गया विलार्ड विग्ग्न नाम हे उस का आप भि देखे।
ये उन कि वेबसाईट हे
http://www.willard-wigan.com/

http://www.maniacworld.com/art-in-the-eye-of-a-needle.html



मेरा नाम अशवन कुमार
रामामंडी जिला भठिंडा पुंजाब से
फोन ;-+919872211168
धनयवाद